भारत 27% टैरिफ को नहीं मानता झटका, 52% के बदले कम टैरिफ लगा क्या ट्रंप ने बातचीत का रास्ता खुला रखा है?

नई दिल्ली

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को कई देशों पर ताबड़तोड़ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दुनियाभर में खलबली मचा दी. भारत और चीन समेत कई देशों पर रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ (Discounted Reciprocal Tariff) लगाया गया है. अब भारत की ओर से ट्रंप के इस टैक्स पर प्रतिक्रिया सामने आई है.

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 27 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण किया जा रहा है. वाणिज्य मंत्रालय इसका विश्लेषण कर रहा है.

उन्होंने बताया कि अमेरिका में सभी तरह के इंपोर्ट पर सार्वभौमिक 10 फीसदी टैरिफ पांच अप्रैल से लागू होगा जबकि बाकी 16 फीसदी टैरिफ 10 अप्रैल से प्रभावी होगा. वाणिज्य मंत्रालय इन टैरिफ के प्रभावों का विश्लेषण कर रहा है.

उन्होंने बताया कि इसमें एक प्रावधान है कि अगर कोई देश टैरिफ से जुड़ी हुई चिंताओं को अमेरिका के समक्ष रखता है तो ट्रंप प्रशासन उस देश पर टैरिफ की दर घटाने पर विचार कर सकता है.

ट्रंप ने इस टैरिफ को रियायती बताकर बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं. भारत पर उसके 52 फीसदी की जगह 27 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. इससे ट्रंप ने भारत के साथ बातचीत की संभावना को खुला रखा है. दोनों देश लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं.

ट्रंप का टैरिफ भारत के लिए नहीं है झटका

भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहा है. दोनों देशों का लक्ष्य इस साल सितंबर-अक्तूबर तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का है.

अधिकारी ने बताया कि ट्रंप का भारत पर यह टैरिफ झटका नहीं है बल्कि इसका मिला-जुला असर हो सकता है.

बता दें कि अमेरिका ने भारत पर 27 फीसदी डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. ट्रंप ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल में ही अमेरिका आए थे. वह मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं. लेकिन इस दौरे के दौरान मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं. भारत हमेशा अमेरिका से 52 फीसदी टैरिफ वसूलता है.

बता दें कि व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने दो अप्रैल को अमेरिका के लिए मुक्ति दिवस बताया. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को इस लिबरेशन डे की लंबे समय से जरूरत थी. अब से दो अप्रैल को अमेरिकी इंडस्ट्री के पुनर्जन्म के तौर पर याद किया जाएगा. इसी दिन को हम अमेरिका को फिर से संपन्न राष्ट्र बनाने के तौर पर याद रखेंगे. हम अमेरिका को फिर से संपन्न बनाएंगे.

सेंसेक्स-निफ्टी क्रैश

ट्रंप के नए टैरिफ ऐलान के बाद दुनियाभर के बाजारों में हड़कंप मच गया है. एशियाई बाजारों से लेकर अमेरिकी स्टॉक मार्केट तक, हर जगह गिरावट देखने को मिल रही है. इस फैसले का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा, जहां सेंसेक्स और निफ्टी ने भारी गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की.

शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों को झटका

आजा यानी गुरुवार को बाजार खुलते ही भारतीय स्टॉक मार्केट में बिकवाली हावी हो गई. सेंसेक्स 805.58 अंकों की गिरावट के साथ 75,811.86 पर आ गया. निफ्टी 50 भी 182.05 अंक लुढ़ककर 23,150.30 पर कारोबार कर रहा है.

हालांकि, शुरुआती कारोबार में बाजार में तेज रिकवरी देखने को मिली. सुबह 9:30 बजे सेंसेक्स 345.21 अंक (0.45%) की गिरावट के साथ 76,272.23 और निफ्टी 77.70 अंक (0.33%) की गिरावट के साथ 23,254.65 पर ट्रेड कर रहा था.
मिडकैप-स्मॉलकैप में हल्की बढ़त, लार्जकैप शेयरों में दबाव

शेयर बाजार के शुरुआती कारोबार में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स हल्की बढ़त के साथ ट्रेड कर रहे थे, जबकि लार्जकैप शेयरों में दबाव देखने को मिला. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 125 अंकों (0.24%) की बढ़त के साथ 52,183 पर था, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 121 अंकों (0.75%) की तेजी के साथ 16,283 पर कारोबार कर रहा था.
फार्मा, रियल्टी और एनर्जी सेक्टर में तेजी

सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मेटल और मीडिया सेक्टर में गिरावट देखी गई. वहीं, फार्मा, रियल्टी और एनर्जी सेक्टर में खरीदारी देखने को मिली.
सेंसेक्स के टॉप लूजर्स और गेनर्स

इंफोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारती एयरटेल, रिलायंस, एचडीएफसी बैंक, मारुति सुजुकी और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप लूजर स्टॉक्स रहे. वहीं, सन फार्मा, पावर ग्रिड, एनटीपीसी, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, टाइटन और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप गेनर के रूप में उभरे.
अमेरिकी और एशियाई बाजार भी धड़ाम

ट्रंप के ऐलान के बाद अमेरिकी और एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट आई.डाउ जोन्स 2.4% गिरा,नैस्डैक 4.2% टूटा,एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 3.5% की गिरावट,टोक्यो के निक्केई 225 इंडेक्स में 2.9% की गिरावट,कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 1.9% टूटा और ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 1.8% गिरकर बंद हुआ.
क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट?

डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है. ट्रंप ने करीब 180 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया है. भारत पर 26 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत और यूरोपीय यूनियन पर 20 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है. इसके तहत,जापान पर 24%,दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाए गए हैं. इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो सकता है, जिससे बाजार में डर का माहौल बन गया है.

भारतीय कंपनियों को भी इस फैसले से झटका लग सकता है, खासकर वे जो एक्सपोर्ट और टेक सेक्टर से जुड़ी हैं. ट्रंप के इस फैसले से रुपया कमजोर हो सकता है, जिससे विदेशी निवेश प्रभावित होगा.

रेसिप्रोकल टैरिफ और न्यूनतम बेसलाइन टैरिफ का ऐलान:
इसके अलावा, ट्रंप ने 10% न्यूनतम बेसलाइन टैरिफ की भी घोषणा की है, जो उन देशों पर लागू होगा जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं। ट्रंप का कहना है कि यह नीति उन देशों पर दबाव बनाने के लिए है, जो अमेरिकी निर्यात के खिलाफ ऊंचे शुल्क लगाते हैं। उनका आरोप है कि अमेरिका के व्यापारिक साझेदार अपनी नीतियों से अमेरिका को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं, और इसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

ऑटोमोबाइल्स पर भारी टैरिफ:
ट्रंप ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने विदेशी निर्मित ऑटोमोबाइल्स पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया। यह शुल्क आधी रात से प्रभावी होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने और अमेरिकी कार निर्माताओं को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उठाया जा रहा है। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में बेची जाने वाली अधिकांश विदेशी कारों पर भारी शुल्क लगाया जाएगा, जिससे घरेलू उद्योग को प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।

यूरोपीय संघ और एशियाई देशों पर आरोप:
ट्रंप ने इस अवसर पर यूरोपीय संघ (EU) और एशियाई देशों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि ये देश अमेरिकी कारों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जबकि अमेरिका केवल 2.4% टैरिफ लागू करता है। ट्रंप ने उदाहरण देते हुए कहा कि थाईलैंड 60%, भारत 70% और वियतनाम 75% तक शुल्क वसूलता है। ट्रंप ने कहा कि यह असमान व्यापार नीति अमेरिका के लिए न केवल अनुचित है, बल्कि यह अमेरिकी उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक बड़ा अवरोध है।

इसके अलावा, ट्रंप ने जापान और दक्षिण कोरिया पर भी हमला बोला, यह कहते हुए कि इन देशों में बेची जाने वाली अधिकांश कारें स्थानीय रूप से निर्मित होती हैं, जबकि अमेरिकी कारों की बिक्री इन देशों में बहुत कम है।

 

India Edge News Desk

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